Monika garg

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लेखनी कहानी -17-Oct-2022# धारावाहिक लेखन प्रतियोगिता # त्यौहार का साथ # भाई दूज

दीपावली हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्योहार है और पांच दिवसीय त्योहार के पांचवे दिन मनाया जाता है, भाई दूज का पर्व। भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है। भाई दूज का पर्व भाई-बहन के रिश्ते पर आधारित पर्व है, जिसे बड़ी श्रद्धा और परस्पर प्रेम के साथ मनाया जाता है। रक्षाबंधन के बाद, भाई दूज ऐसा दूसरा त्योहार है, जो भाई-बहन के अगाध प्रेम को समर्पित है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार यह पर्व कार्तिक मास में मनाया जाता है। 

कैसे मनाते हैं- भाई दूज का पर्व दीपावली के तीसरे दिन मनाया जाता है। इस दिन वि‍वाहिता बहनें भाई बहन अपने भाई को भोजन के लिए अपने घर पर आमंत्रित करती है, और गोबर से भाई दूज परिवार का निर्माण कर, उसका पूजन अर्चन कर भाई को प्रेम पूर्वक भोजन कराती है। बहन अपने भाई को तिलक लगाकर, उपहार देकर उसकी लंबी उम्र की कामना करती है। भाई दूर से जुड़ी कुछ मान्यताएं हैं जिनके आधार पर अलग-अलग क्षेत्रों में इसे अलग-अलग तरह ये मनाया जाता है।
 
भाई दूज की कथा- सूर्यदेव की पत्नी छाया की कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ। यमुना अपने भाई यमराज से स्नेहवश निवेदन करती थी कि वे उसके घर आकर भोजन करें। लेकिन यमराज व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल जाते थे। कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना अपने द्वार पर अचानक यमराज को खड़ा देखकर हर्ष-विभोर हो गई। प्रसन्नचित्त हो भाई का स्वागत-सत्कार किया तथा भोजन करवाया। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने बहन से वर मांगने को कहा। तब बहन ने भाई से कहा कि आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आया करेंगे तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका करके भोजन खिलाए उसे आपका भय न रहे। यमराज 'तथास्तु' कहकर यमपुरी चले गए। ऐसी मान्यता है कि जो भाई आज के दिन यमुना में स्नान करके पूरी श्रद्धा से बहनों के आतिथ्य को स्वीकार करते हैं उन्हें तथा उनकी बहन को यम का भय नहीं रहता।

भाई दूज को लेकर यह मान्यता प्रचलित है, कि इस दिन भाई को तिलक लगाकर प्रेमपूर्वक भोजन कराने से परस्पर तो प्रेम बढ़ता ही है, भाई की उम्र भी लंबी होती है। चूंकि इस दिन यमुना जी ने अपने भाई यमराज से वचन लिया था, उसके अनुसार भाई दूज मनाने से यमराज के भय से मुक्ति मिलती है, और भाई की उम्र व बहन के सौभाग्य में वृद्धि होती है।

भाई दूज को भारत के अलग-अलग जगहों पर अलग नाम से जाना जाता है। संस्कृत में इसे भागिनी हस्ता भोजना कहते हैं तो वही कर्नाटक में इसे सौदरा बिदिगे के नाम से जानते हैं। बंगाल में भाई दूज को भाई फोटा, नेपाल में भाई टीका और महाराष्ट्र में भाव बीज के रूप में मनाते हैं। इस दिन सभी विवाहित बहनें अपने भाइयों को घर आने का न्योता देती हैं। रक्षाबंधन के तरह ही भाई दूज के दिन भाई अपने बहन का आदर सत्कार करता है और बहन भी अपने भाई की लम्बी उम्र की प्रार्थना करती है।

भाई दूज पर्व को लेकर कुछ कथाएं भी प्रचलित है। कहा जाता है की इस दिन यमुना ने अपने भाई यमराज को अपने घर पर पूरे आदर और सत्कार के साथ भोजन करवाया था। उस दिन सब ने मिलकर एक महान उत्सव मनाया जो की यम लोक के लिए खुशियों भरा था। इसलिए ये दिन तीनो लोको में यम द्वितीया के नाम से प्रसिद्ध हुआ। जिस दिन यमुना ने यम को अपने घर बुलाकर भोजन करवाया था उस दिन जो भी मनुष्य अपनी बहनों के हाथों से अच्छा भोजन प्राप्त करते हैं उसे मान्यताओं के अनुसार धन और भोजन की कभी भी कमी नहीं होती है।


भाई का प्रेम है सबसे अलग। बहन के प्रति बचपन से ही चिंतित रहने वाले भाई के प्रति प्रेम प्रकट करने का इससे अच्छा अवसर दूसरा नहीं। जितना महत्व रक्षा बंधन को दिया जाता है उतना ही महत्व भाई दूज को भी दिया जाना चाहिए। बहन को चाहिए कि भाई को अपने घर बुलाकर उसे भोजन कराएं तथा लंबी उम्र की कामना के साथ छोटा-सा ही सही, पर उपहार जरूर दें। यह पर्व भाई और बहन के अटूट प्यार का प्रतिक माना जाता है

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6 Comments

सुन्दर वर्णन

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Reena yadav

27-Oct-2022 04:13 AM

👍👍🌺

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Pratikhya Priyadarshini

27-Oct-2022 01:15 AM

Bahut khoob 🙏🌺

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